संदीप कुमार मिश्र: साल 2018 का पहला चंद्र ग्रहण 31 जनवरी को पड़ने वाला है।जो कई मायने में खास होगा।कहा जा रहा है कि यह चंद्र ग्रहण सुपर ब्लू ब्लड मून होगा।जबकि इससे पहले 152 साल पहले 31 मार्च 1866 में ऐसा संयोग बना था और भविष्य में भी आने वाले 11 सालों तक ऐसा चंद्र ग्रहण दिखाई नहीं देगा। आपको बता दें कि 31 जनवरी को पूर्णिमा होने और सूतक का समय लगने की वजह से पूजा नियत समय तक कर लेनी चाहिए।हमारे हिंदू धर्म शास्त्रों में माघ माह की पूर्णिमा का विशेष महत्व और विधान बताया गया है।
दरअसल माघ मास की पूर्णिमा को गंगा स्नान के साथ ही दान का विधान बताया गया है। ज्योतिषियों मतानुसार चंद्र ग्रहण पड़ने पर हमें दान अवश्य करना चाहिए। चंद्र ग्रहण के सूतक सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर लग जाएंगे और फिर पूजा और स्नान के साथ ही दान भी नहीं किया जा सकता। इसलिए पूर्णिमा के दिन प्रात: 8 बजे से पहले ही भगवान विष्णु और शिव की पूजा करना सही बताया गया है। इसके अलावा इस खास अवसर पर चंद्र-राहु का जप भी करना चाहिए।इस मंत्र का जप अवश्य करें- “ऊं नमो वासुदेवाय” ।
चंद्र ग्रहण में सूतक के समय रखें विशेष सावधानी
सूतक के समय तथा ग्रहण के समय दान और जापादि का महत्व माना गया है. पवित्र नदियों अथवा तालाबों में स्नान किया जाता है. मंत्र जाप किया जाता है तथा इस समय में मंत्र सिद्धि का भी महत्व है. तीर्थ स्नान, हवन और ध्यानादि शुभ काम इस समय में किए जाने पर शुभ तथा कल्याणकारी सिद्ध होते हैं. धर्म-कर्म से जुड़े लोगों को अपनी राशि अनुसार अथवा किसी योग्य ब्राह्मण के परामर्श से दान की जाने वाली वस्तुओं को इकठ्ठा कर संकल्प के साथ उन वस्तुओं को योग्य व्यक्ति को दे देना चाहिए।
सूतक के समय और ग्रहण के समय भगवान की मूर्ति को स्पर्श नहीं करना चाहिए। मंदिर के कपाट बंद कर देने चाहिए। यहां तक कि खाना-पीना, सोना, नाखून काटना, भोजन बनाना, तेल लगाना आदि कार्यों से भी बचना चाहिए। सूतक काल में बच्चे, बूढ़े, गर्भावस्था स्त्री आदि को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। अगर घर में अचार, मुरब्बा, दूध, दही और खाना बना हुआ रखा हो तो उसमें तुलसी का पत्ता डाल देना चाहिए। अगर तुलसी नहीं है तो कुशा भी जाल सकते हैं। ऐसा करने से खाना और ये सभी चीजों पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता है।
जाने किसे कहते हैं चंद्र ग्रहण
चंद्रग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते है जब जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में अवस्थित हों। इस ज्यामितीय प्रतिबंध के कारण चंद्रग्रहण केवल पूर्णिमा को घटित हो सकता है। चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे आ जाता है।
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