संदीप कुमार मिश्र : प्राचीन काल से आरती के समय ताली बजाई जाती हैं। लेकिन आरती के बाद शिव मंदिर में ताली नहीं बजानी चाहिए। खासकर शिवलिंग के पास तो भूलकर भी ताली नहीं बजाए। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ध्यान में रहते हैं। अगर आप शिव के मंदिर में ताली बजाते हैं तो उनका ध्यान भंग हो सकता हैं। जिसकी वजह से उनके गण नाराज हो सकते हैं। अत: शिवजी के मंदिर में आरती के समय ही ताली बजानी चाहिए। कहा जाता है कि संकीर्तन में जाने से हाथों की रेखाएं तक बदल जाती हैं। ताली बजाने से ना केवल आध्यात्मिक शांति मिलती हैं। बल्कि यह एक सर्वोत्तम और सरल योग माना जाता हैं। अगर आप नियमित रूप से 2 मिनट ताली बजाते है तो आप काफी तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से दूर रह सकते हैं। एक्यूप्रेशर के अनुसार भी मनुष्य के हाथों में पूरे शरीर के अंग व प्रत्यंग के दबाव बिंदु होते हैं। जिनको प्रेस करने पर संबंधित अंग तक खून व ऑक्सीजन का प्रवाह पहुंचने लगता है और धीरे-धीरे वह रोग स्वत: ही ठीक होने लगता है। ताली बजाने से सभी बिंदुओं पर प्रेशर पड़ता है। जिस तरह से ताला खोलने के लिए चाभी की जरूरत होती है, उसी प्रकार से कई रोगों को दूर ताली चाबी का काम करती हैं। बल्कि कई रोगों में तो यह मास्टर चाबी का काम करती हैं। ताला खोलने वाली होने से इसे मास्टर चाभी का काम करती हैं।
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