धर्म डेस्क- उत्सव और त्योहारों का देश है भारत।जहां के हर प्रांत और राज्य में अपने उत्साह को प्रकट करने के लिए कुछ ना कुछ त्योहार मनाएं जाते है...चाहे प्रकृति की पूजा हो या परमात्मा की,हम भारतीय बड़े ही उल्लास के साथ त्योहारों को मनाते हैं और अपनी कुशियां एक दूसरे के साथ बांटते हैं। उत्साह और उमंग से भरा ऐसा ही एक त्योहार है लोहड़ी।लोहड़ी का त्यौहार खुद में अनेक सौगातों को लिए होता है। फसल पकने पर किसान खुशी को जाहिर करता है जो लोहड़ी पर्व, जोश व उल्लास को दर्शाते हुए सांस्कृतिक जुड़ाव को दर्शाता है ,जिसे पंजाब और हरियाणा में विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोहडी केवल पंजाब तक ही सीमित नहीं है बल्कि संपूर्ण भारत में मनाया जाता है अलग-अलग नामों से फसल पकने की खुशी यहां पूरे जोश के साथ लोहड़ी के रुप में मनाई जाती है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार लोहड़ी मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाई जाती है और इस बार लोहड़ी का पर्व 13 जनवरी, 2021 को मनाया जाएगा। प्रकृति को धन्यवाद कहने का त्योहार है लोहड़ी।
लोहड़ी 2021 की तिथि और दिन
13 जनवरी 2021, दिन बुधवार
लोहड़ी से जुड़ी लोक मान्यताएं
लोहडी़ के पर्व के संदर्भ में अनेकों मान्यताएं हैं।इस त्योहार पर लोगों के घर जा कर लोहड़ी मांगी जाती हैं और दुल्ला भट्टी के गीत गाए जाते हैं, कहते हैं कि दुल्ला भट्टी एक लुटेरा हुआ करता था लेकिन वह हिंदू लड़कियों को बेचे जाने का विरोधी था और उन्हें बचा कर वह उनकी हिंदू लड़कों से शादी करा देता था इस कारण लोग उसे पसंद करते थे और आज भी लोहड़ी गीतों में उसके प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।
हिन्दू धर्म में यह मान्यता है कि आग में जो भी समर्पित किया जाता है वह सीधे हमारे देवों-पितरों को जाता है।इसलिए जब लोहड़ी जलाई जाती है तो उसकी पूजा गेहूं की नयी फसल की बालियों से की जाती है। लोहडी के दिन अग्नि को प्रजव्व्लित कर उसके चारों ओर नाच- गाकर शुक्रिया अदा किया जाता है।
ऐसे तो लोहडी उत्तरी भारत में प्रत्येक वर्ग, हर आयु के जन के लिये खुशियां लेकर आती है। परन्तु नवविवाहित दम्पतियों और नवजात शिशुओं के लिये यह न विशेष होता है।इस खास अवसर पर युवक -युवतियां सज-धज, सुन्दर वस्त्रों में एक-दूसरे से गीत-संगीत की प्रतियोगिताएं रखते है। लोहडी की संध्यां में जलती लकडियों के सामने नवविवाहित जोडे अपनी वैवाहिक जीवन को सुखमय व शान्ति पूर्ण बनाये रखने की कामना करते है। सांस्कृतिक स्थलों में लोहडी त्यौहार की तैयारियां समय से कुछ दिन पूर्व ही आरम्भ हो जाती है।
लोहड़ी पर भंगड़ा और गिद्दा की धूम
लोहडी़ के पर्व पर लोकगीतों की धूम मची रहती है, चारों और ढोल की थाप पर भंगड़ा-गिद्दा करते हुए लोग आनंद से नाचते नज़र आते हैं. स्कूल व कालेजों में विशेष तौर पर इस दिन को मनाते हैं बच्चे नाच गाकर आनंद उठाते नज़र आते हैं।
लोहडी के दिन में भांगडे की गूंज और शाम होते ही लकडियां की आग और आग में डाले जाने वाली चीजों की महक एक गांव को दूसरे गांव व एक घर को दूसरे घर से बांधे रखती है। यह सिलसिला देर रात तक यूं ही चलता रहता है। बडे-बडे ढोलों की थाप, जिसमें बजाने वाले थक जायें, पर पैरों की थिरकन में कमी न हों, रेवडी और मूंगफली का स्वाद सब एक साथ रात भर चलता रहता है।
माघ का आगमन
लोहडी पर्व क्योकि मकर-संक्रान्ति से ठिक पहले कि संध्या में मनाया जाता है तथा इस त्यौहार का सीधा संबंध सूर्य के मकर राशि में प्रवेश से होता है। लोहड़ी पौष की आख़िरी रात को मनायी जाती है जो माघ महीने के शुभारम्भ व उत्तरायण काल का शुभ समय के आगमन को दर्शाता है और साथ ही साथ ठंड को दूर करता हुआ मौसम में बदलाव का संकेत बनता है।
।।आप सभी को लोहड़ी के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं व बधाई।।